SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 598
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ५२८ ] ५६ तंबूड़ा री बूवट वूकइ हो चमरा, साहिवा लेज्यो ' राजिद लेज्यो ।' मिरमिर झिरमिर मेहा वरसई, राजिंद रूडर भीजवर तं० १६२ ६० केता लख लागा राजाजी रइ मालीयइ नी, केता लख लागा गढां री पालि हो, म्हांरी नगदी रा वीरा हो राजिद ओलंभउजी १६२ ६१ आठ टके ककणउ लीयउरी नणदी, थिरक रहाउ मोरी बाहकंकगड मोल लीयउ ६२ थारी महिमा घणी रे मंडोवरा ६३ अलवेला नी १६८, २६६, २५१, २६७ ६४ तप सरिखउ जग को नहीं [ समयसु दर-संवाद शतक ] १७२. ६५ मुम हीयड़उ हेनालुअउ [जिनराजसूरि-वीसी सीमंधर स्त०] १७५ ६६ ऊभी भावलदे राणी अरज करइ छइ १७६,१६४,२२६ ६७ मुझ सूघउ धरम न रमीचउ रे ६८ नायकानी [ जिनराज सूरि-शालिभद्र चौ० ] १६३ १६४, २०४६ ७५ सौदागर नी ७६. रामचन्द्र के बाग ७७ लाइलट्टे मात मल्हार १७७ ६६ हाडाना गीत नी ७० मरवीना गीत नी ७१ सरवर पाणी हजामारू म्हे गया हो लाल, राजि ७२ धन धन सप्रति साचउ राजा १८२,४५० ७३ त्रिमल जिन माहरइ तुमसुं प्रेम [ जिनराजसूरि चौवीसी ] १८५ ७४ बहिनी रहि न सकी तिसइ जी १७८ १७६ १८० १८१ १८६, ४७२ १८८ १६२ १६३
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy