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७८ ऋपभानन स्तवन- ७ ऋषभानन सुं प्रीतड़ी ॐ अनंतवीर्य स्तवन ७ आज ऊमाही जीभड़ी ७ आवउ मोरी सहियर सूरप्रभु० -
८० सूरप्रभ स्तवन
.८१ विशाल स्तवन
८२ वज्रवर स्तवन
८३ चंद्रानन स्तवन ८४ चद्रबाहु स्तवन
८५ - भुजंग जिन स्त०
८६ ईश्वर प्रभ स्त ८७ नेम
प्रभु स्तवन
८८. वीरसेन स्तवन
८६ महाभद्र स्तवन
६० देवयशा स्तवन ६१ अजितवीर्य स्त०
६२ कलश
७ आज लहाउ मई भेदो
६ अधिक विराजे वज्रधर साहिबा री
७ माहरा मन नी वातड़ी रे
७ जउ कोई चाले हो उण दिसि आदमी ७ निशिभर सूता आज मइ जी ७ श्री देवयशा श्रवणे सुण्यो ७ अजितवीरज अरिहत सु
६. वीरमान वीसे जिन वदियं रे
७ श्रीचंद्रानन चतुर विचारियै ७ सुणि सुणि मोरा अंतरजामी
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७ स्वामि भुजंग विनती एक सुणउ महाराज ७२ ७ ईसर प्रभु अवधारियइ
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८०
८०
(स० १७२७ चै० सु० ८ )
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६३ मातृका वावनी ५७ ओकार अपार जगत आधार
( स० १७३८ फा० व० ८ गु० ) ६४ दोहा बावनी- ३ ओम् अक्षर सार है (१७३० आषाढ सु० १) ६४ ६५ उपदेश छत्तीसी ३६ संकल अरूप जामै प्रभुता अनूप भूप १००
i. ( स १७१३ ) १६ दोधक छंतीसी ३८ निण दिन सज्जण वीछड्या
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