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अनेक भाषाओं में काव्य प्रणयन किया है परन्तु वे विशेष रूप से गुजराती तथा राजस्थानी के कवि है । उनकी कृतिया सरस एव साथ ही शिक्षाप्रद है । उनसे सम्बन्धित गीत में यथार्थ ही कहा गया है
सरसति चरण नमी करी, गाम्य श्री ऋषिराय । श्री जिनहरप मोटो यति, समय अनुसार कहिवाय ॥शा मन्दमती ने जे थयो, उपगारी मिरदार । सरम जोडिकला करी, कर्यो ज्ञान विस्तार ॥२॥ उपगारी जगि एहवा, गुणवन्ता व्रतधार । तेहना गुण गातां थकां, हुइ सफल अवतार ॥३॥
हिन्दी विभाग, सेठ आर एन रुइया कालेज
रामगढ (सीकर) दि० १-१-१९६४,
-मनोहर शर्मा