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गुफित की हैं । कई रचनाओं में पूर्ववर्ती कवियो का अनुकरण, भाव साम्य दिखाई देता है । जिनहर्ष के परवर्ती कवियों पर भी कवि की रचनाओं का प्रभाव अच्छा देखा जाता है । इस विषय में विशेष अनुसन्वान किया जाने पर कवि के प्रभाव एव देन की पूरी जानकारी मिल सकती है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ की भूमिका राजस्थानी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक प्राध्यापक श्री मनोहर गर्मा ( सम्पादक - वरदा ) ने लिख भेजने की कृपा को है इसलिए हम उनके आभारी हैं । कवि के साहित्यिक महत्व के सम्बन्ध में उन्होने भूमिका में अच्छा प्रकाश डाल दिया है ।
अगरचन्द नाहटा