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________________ जिन सिद्धान्त प्रश्न-अनन्तानुवन्धी कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--पर-पदार्थ में सुख मनावे परन्तु निज आत्मा में सुख नहीं है ऐसी मान्यता जो करावे उस कर्मका नाम अनन्तानुबन्धी कर्म है। प्रश्न--अप्रत्याख्यानकर्म किसे कहते हैं ? उत्तर--संसार का कोई पदार्थ सुख दुख का कारण नहीं है, दुख का कारण मात्र रागादिक भाव है, सुख का कारण वीतराग भाव है तो भी रागादिक न छोड़ने देवे अर्थात् देशसंयम धारण न करने देवे ऐसे कर्म का नाम अप्रत्याख्यान कम है। प्रश्न-प्रत्याख्यान कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जो कर्म आत्मा में सकल चारित्र न होने देवे उसका नाम प्रत्याख्यानकर्म है अर्थात् त्रस की हिंसा का राग छूट जावे परन्तु स्थावर की हिंसा का राग न छोड सके ऐसे कर्मका नाम प्रत्याख्यान कर्म है। प्रश्न--संज्वलनकर्म किसे कहते हैं ? ___उत्तर-जो कर्म यथाख्यात चारित्र होने न देवे ऐसे कर्म का नाम संज्वलन कर्म है अर्थात् जो कर्म सकल संयम होने देवे परन्तु वीतराग भाव होने न देवे ऐसे कर्म का नाम संनलनकर्म है।
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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