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जिन सिद्धान्त ]
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के प्रदेश के साथ एक क्षेत्र में बन्धन रूप रहती है उसी
को द्रव्य कर्म कहते हैं ।
प्रश्न - - द्रव्यकर्म कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर - - द्रव्यकर्म आठ प्रकार के हैं - ( १ ) ज्ञानाचरण, ( २ ) दर्शनावरण, ( ३ ) वेदनीय, ( ४ ) मोहनीय, (५) आयु, (६) नाम, (७) गोत्र, (८) अंतराय ।
प्रश्न - ज्ञानावरण कर्म किसको कहते हैं ?
उत्तर -- जो आत्मा के ज्ञान का विकास न होने देवे उसे ज्ञानावरण कर्म कहते हैं ।
प्रश्न --- ज्ञानावरण कर्म के कितने भेद हैं ?
उतर -- ज्ञानावरण कर्म के पांच भेद हैं- (१) मतिज्ञानावरण, (२) श्रुतज्ञानावरण, (३) अवधिज्ञानावरण, (४) मन:पर्ययज्ञानावरण, (५) केवल
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ज्ञानावरण |
प्रश्न - - दर्शनावरण कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर --- आत्मा के दर्शन चेतना का विकास न होने
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देवे उसे दर्शनावरण कर्म कहते हैं ।
प्रश्न --- दर्शनावरण कर्म के कितने भेद हैं ?
उत्तर - दर्शनावरण कर्म के नौ भेद हैं- (१) चक्षु
दर्शनावरण, (२) श्रचक्षुदर्शनावरण, (३) अवधि