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जिन सिद्धान्त पदार्थ अनेक ही हैं । ऐसी एकान्त मान्यताका नाम एकान्त मिथ्यात्व है।
प्रश्न--अज्ञान मिथ्यात्व किसको कहते है ?
उत्तर---जीव आदि पदार्थ हैं ही नहीं, ऐसी मान्यता वाले जीव को अज्ञान मिथ्यात्ववादी कहते हैं।
प्रश्न-विपरीत मिथ्यात्व किमको कहते हैं ?
उत्तर-मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र से ही मोक्ष होता है एवं हिंसा, असत्य, चोरी, मैथुन, परिग्रह करते मोक्ष होता है, भक्ति करते २ मोक्ष होता है ऐसी मान्यता को विपरीत मिथ्यात्व कहते हैं।
प्रश्न--चैनयिक मिथ्यात्व किसको कहते हैं ?
उत्तर-सब की विनय करने से मोक्ष मिलता है । अर्थात् सुदेव, कुदेच, सुगुरु, कुगुरु, आदि सब समान हैं अतः सबकी विनय करना अपना धर्म है, जितनी पत्थर की मूर्तियां हैं वे सब देव है, शिखरजीका कङ्कररपूज्य है, पद से विपरीत विनय करना ये सब भाव चैनयिक मिथ्यात्व के हैं।
प्रश्न-संशय मिथ्यात्व किसको कहते हैं ?
उत्तर-मोक्ष है या नहीं ? स्वर्ग है या नहीं ? नर्क है या नहीं ? आदि बातों में मंशय करने को संशय मिथ्यात्व कहते हैं।
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