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[जिन सिद्धान्न भाव को परिग्रह संज्ञा कहते हैं। यह भाव पापरूप कर्म चेतना का है।
प्रश्न-आत्त ध्यान किमको कहते हैं ?
उत्तर-आत्तध्यान के चार प्रकार है। (१) इटवियोग, (२) अनिष्ट संयोग, (३) पीड़ा चिन्तवन, ( ४ ) निदान।
प्रश्न-इष्टवियोग रूप प्राप्तध्यान किसको कहते हैं ?
उत्तर-इष्ट सामग्री के चले जाने से दुखी होना दृष्टवियोगरूप मार्तध्यान है । जैसे-माता, पिता, पति, पुत्र आदि के मरण से दुखी होना।
प्रश्न-अनिष्ट-संयोगरूप प्राध्यान किसको करने हैं?
उनर-ग्रनिष्ट-मंयोग आने से दुखी होना उसी का नाम अनिष्टसंयोग-रूप प्रार्तध्यान है । जैसे-दुस्मन याजाने ने, बग्मं आग लग जाने से दुखी होना।
प्रश्न-पीड़ा-चिन्तवनम्प आनध्यान किसको
उनर-नगर में गंग आजान में दगी होने को पारा चिन्नान रूप प्राध्यान कइन है. जिमनोग मिटने श्री चिन्ना माना।
प्रभ-निदानकर यानश्यान किसको कहते हैं ?