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________________ པར་ 4-6-80PM [ जिन सिद्धान्त ww प्रश्न - प्रशस्तराग किसको कहते हैं ? उत्तर - देव गुरु धर्म के प्रति राग प्रशस्त राग है। प्रश्न- अनुकम्पा किसको कहते हैं ? उत्तर - प्राणी मात्र को दुखी देखकर उसको दुःख से छुड़ाने के भाव का नाम अनुकम्पा हैं । प्रश्न-चित्त प्रसन्नता किसको कहते है ? उत्तर - लोकोपकारी कार्य करने के भाव का नाम चित्र प्रसन्नता है । प्रश्न- जड़ पुण्य किसको कहते है ? उत्तर - प्रघाती कर्म में जो पुण्य प्रकृति है उसे जड़ पुण्य कहते है जैसे:- सातावेदनी, शुभ ग्रायु, शुभ नाम, शुभ गोत्र | जिसकी उत्तर प्रकृतियां ६८ हैं । प्रश्न- पाप तय किसको कहते हैं । उत्तर -- पाप तत्र दो प्रकारके हैं: - एक चेतन पाप, दूसरा जंड़ पाप । प्रश्न - चेतन पाप किसको कहते हैं । उत्तर - आत्मा में एक चारित्र नाम का गुण उसकी ती पारूप अवस्था का नाम चेतन पाप है । प्रश्न --- पाप मात्र कितने प्रकार के होते हैं ? उत्तर --- पाप के भाव संख्यात लोक प्रमाण होते तो मी उनको ७ भावों में गर्भित किया गया है |
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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