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जिन सिद्धान्त प्रकति मिलाने से ४२ प्रकृतियों का उदय होता है।
प्रश्न-तेरहवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की सत्ता रहती है ?
उत्तर--बारहवें गुणस्थान में जो १०१ प्रकृतियों की सत्ता है उनमें से व्युच्छित्ति, ज्ञानावरण की पांच, अन्तराय की पांच, दर्शनावरण की चार, निद्रा और प्रचला इन १६ प्रकृतियों के घटाने पर शेष ८५ प्रकृतियों
की सत्ता रहती है। • प्रश्न-प्रयोगकेवली नामक चौदहवें गुणस्थान का
क्या स्वरूप है, और वह किसके होता है ? ___ उत्तर--अरहंत परमेष्ठी, वचन काय योग से रहित होने से अशरीरी होजाते हैं अर्थात् शरीर परमाणु आपसे आप विलय हो जाता है, जहाँ मात्र आयु प्राण है, ऐसे अरहंत परमेष्ठी को चौदहवाँ गुणस्थान होता है। इस गुणस्थान का काल अ, इ, उ, ऋ,ल, इन पांच स्वरों के उच्चारण करने बराबर है । अपने गुणस्थान के काल के द्विचरम समय में सत्ता की ८५ प्रकृतियों में से ७२ प्रकतियों का और चरम समय में १३ प्रकृतियों का नाश कर अरहंत परमेष्ठी में सिद्ध पर्याय प्रगट हो जाती है। ___ प्रश्न–चौदहवें गुणस्थान में बंध कितनी प्रकृतियों का होता है ?