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जिन सिद्धान्त
ज्ञान गुण की शुद्ध अवस्था है बाकी के ज्ञान ज्ञानगुण की अशुद्ध अवस्था है ।
प्रश्न -- संयम मार्गणा किसे कहते हैं ?
उत्तर - संयम मार्गणा सात प्रकार के हैं - १ श्रसंयम, २ संयमासंयम, ३ सामायिक संयम, ४ छेदोपस्थापना संयम, ५ परिहारविशुद्धि संयम, ६ सूक्ष्म सामपराय संयम, ७ यथाख्यात संयम । ये सब आत्मा के चारित्र गुण की अवस्था है ।
प्रश्न- संयम किसे कहते हैं ?
उत्तर — अंहिसादिक पांच व्रत धारण करने, ईर्यापथ आदि पांच समितियों का पालन करना, क्रोधादिक कपायों का निग्रह करना, मनोयोग आदिक तीन योगों को रोकना, स्पर्शनादि पांचों इन्द्रिय को विजय करना, इसे संयम कहते हैं ।
प्रश्न- दर्शन मार्गणा के कितने भेद है ? उत्तर-- चार मेड हैं -- १ चक्षु दर्शन, २ श्रचतु दर्शन, ३ अवधि दर्शन, ४ केवल दर्शन | ये चारों दर्शन की अवस्था है।
प्रश्न- लेश्या मागंगा के कितने भेद हैं ?
मेद है -१ कृष्ण लेश्या, २. नील नैया, 3 को लेन्या, 2 पीन नेपा, ७ पद्म जेश्या,
उत्तर