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[ जिन सिद्धान्त
उत्तर--जलचर, स्थलचर, नभचर इन तीनोंके सैनी असैनी के भेद से ६ भेद हुए और इनके पर्याप्तक, निर्वृत्यपर्याप्तक की अपेक्षा १२ भेद हुए ।
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--भोगभूमि के चार भेद कौन २ से हैं ? उत्तर --- स्थलचर और नभचर इनके पर्याप्तक और निर्वृत्यपर्याप्तक की अपेक्षा ४ मेद हुए । भोगभूमि में मैनी तिर्यञ्च नहीं होते हैं ।
प्रश्न -- मनुष्य के नौ भेद कौन २ से हैं ?
उत्तर - श्रार्यखंड, म्लेच्छखंड, भोगभूमि, कुभोगभूमि इन चारों गर्भजों के पर्याप्तक, निर्वृत्यपर्याप्तक की अपेक्षा = हुए । इनमें सम्मूर्च्छन मनुष्य का लब्ध्यपर्याप्तक भेद मिलाने से ६ भेद होते हैं ।
प्रश्न - नारकियों के दो भेद कौन से हैं ? उत्तर -- पर्याप्त और निर्वृत्यपर्याप्तक । प्रश्न- देवों के दो भेद कौन से हैं ? उत्तर -- पर्याप्त और निर्वृत्यपर्याप्तक ।
प्रश्न – देवों के विशेष मेद कौन-कौन से हैं?
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इत्तर ---चार हैं- ( १ ) मत्रनवाली, ( २ ) व्यन्तर,
(३) ज्योतिष्क, (४) वैमानिक ।
प्रश्न- नवमी देवों के कितने मेट हैं ?