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[ जिन सिद्धान्त
ध्यान योग तथा
गया है । सूक्ष्म क्रियाप्रतिपातिशुक्ल क्रिया गुण की शुद्धता की अपेक्षा से कहा गया है और व्युपरत क्रियानिवृत्ति शक्ल ध्यान अव्यावाध आदि गुणों की शुद्धता की अपेक्षा से कहा गया है । यथार्थ में परगुण की शुद्धता का मात्र आरोप शुक्लध्यान में कहा गया है ।
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प्रश्न --- पृथक्त्ववितर्कविचार क्या शुक्ल ध्यान है ? उत्तर -- विचार करना, वह शुक्लध्यान नहीं परन्तु वह शुक्लध्यान का मल है अर्थात् पुण्य भाव है । जितने अंश मैं वीतराग भाव की प्राप्ति हुई वही शुक्ल ध्यान है और उसके साथ में जो द्रव्य गुण पर्याय का विचार रूप विकल्प है वह शुक्लध्यान नहीं है, पुण्य भाव है। शुक्लध्यान चारित्र गुण की शुद्ध । अवस्था का नाम है।
प्रश्न – शुक्लध्यान पांच भावों में से कौनसा भाव है ?
उत्तर -- शुक्लध्यान प्रधानपने क्षायिक भाव में ही होता है, परन्तु उपशम श्रेणी चढने वाले जीव को प्रथम शुक्ल ध्यान उपशम भाव में भी होता है।
प्रश्न --- पारणामिक भाव किसे कहते हैं ?