________________
तृतीयभाग । ॥१॥ गिर-सिर दिवला. जोइया, चहुँदिशि वाजै पौन । बलत अचंभा मानिया, बुझत अचंभा कौन ।। जगमें० ॥२॥ जो छिन जाय सो आयुमें, निशि दिन टूकै काल । वांधि सकै तो है भला, पानी पहिली पाल॥जगमें० ॥३॥ मनुषदेह दुर्लभ्य है, मति चूकै यह दाव । भूधर राजुलकंतकी, शरण सितावी आव ॥ जगमें० ॥४॥
१२. राग ख्याल । गरव नहिं कीजै रे, ऐ नर निपट गँवार । टेक ॥ झूठी काया झूठी माया, छाया ज्यों लखि लीजै रे ॥ गरव० ॥१॥ कै छिन सांझ सुहागरु जोवन, कै दिन जगमें जीजैरे। गरव० ॥२॥ वेगा चेत विलम्ब तजो नर, बंध वदै थिति छीजै रे॥गरव०॥३॥ भूधर पलपल हो है भारी.. ज्यों ज्यों कमरी भीजै रे॥ गरव०॥४॥
१३. राग ख्याल । थांकी कथनी म्हांनैं प्यारी लगै जी, प्यारी १ दीपक. २ चले. ३ निकट आवै. ४. श्रीनेमिनाथकी. ५ जीवेंगे. ६ जल्दी. ७ आयु.. . . .