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________________ हजूरी पद-संग्रह। : अच, कीजै नाथ निवेरा । वेगिदयाकरि दीजिए मुझ, अविचल-थान-बसेरा । सीमंधर०॥2.0 नाम लिए अर्थ ना रहै ज्यों, उगे भान अंधेरा, भूधर चिंता क्या रही जब, समरथ साहिब तेरा ॥ सीमंधर० ॥३॥ ६१ । राग धमाल। . देखे देखे जगतके देव राग-रिससों भरे। काके सँग कामिनि कोऊ, आयुधवान खरे॥ ॥ देखे देखे० ॥ टेक ।। अपने अवगुन आपही हो, प्रगट कर उघरे। तऊ अबूझन बूझहि देखो, जनमृग-भोरेप रे॥ देखे देखे०॥१॥ आपं भिखारी लै किनही हो, काके दरिद हरे । चंदि पाथरकी नावपै कोई, सुनिए नाहिं तरे। देखे ॥२॥ गुन अनंत जा देव मैं औ, ठारह दोष टरे। भूधर ता-प्रति भावसोंदोऊ, कर निज़ सीस घरे॥ देखे देख० ॥३॥ i.. ...६२ । राग ख्याल कानडी। ..... : एजी मोहि तारिये शांति जिनंद॥ एजी० ॥ १ मोह स्थान । २ पाप । ३ भोलापन । .
SR No.010373
Book TitleJainpad Sagar 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Baklival
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages213
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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