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[ ११. 1 'मोकों तारोजी तारोजी तारोजी किरपा करके मोसम कोन कुठिल खल कामी मोहि तारो जिन साहिबजी मोहि तारोजी क्यो ना, तुम तारक विजगत्रिकालमें। मोहि तारो हो देवाधिदेव मैं मनवचतनकरिकरों सैव
य-र-ल या कलिकाल महानिशिमें जिनववनचंद्रिका जारी है बल्यो चिरकाल जगजाल चहुंगति विष लगन मोरी पारससों लागी लूम भूम वाले बदरवा मुनिवर ठाड़े तरुवर तरवा
पारो हो वधाई या शुभ साज विनकाम ध्यानमुद्राभिराम तुम हो जगनायकजी वीतराग जिन महिमा थारी वरन सकै को जन त्रिभुवनमैं बोतराग मुनिराजा मोको दुरस ताजा, चे प्रानी सुरक्षानी जिनजानी जिनवानी वे मुनिवर काय मिलि हैं उपगारी
शरन गही मैं तेरी जगजीवन जिनराज जगतपति शान मोहि वासुपूज्य जिनवरकी शांतिवरन मुनिराई घर लखि शामरियाके नाम जपेत झूटजाय भवमामरियां