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प्रभु तुम पहियत दीनदयाल प्रभु तुम चानसरन लीनों मोहि तारो करुणाधार . प्रभु तुम मूरन हगसों निरखे हरणो मोरो जीयरा प्रभु तुम सुमरन होता प्रभु तेरी महिमा कि मुख गाय प्रभु तेरी महिमा फदिय न जाय प्रभु शंका लखि मम नित हरपायो प्रभु पारी माज मटिमा जानी प्रभु घांसं अरज हमारी हो प्रभुपैया बरदान सुपा फिर जग कीवीच नहिं मांक ६५ प्रा म्हाको मुध्रि फरुना फर लीजे : प्रभु मैं फिविध धुति फर तेरी प्रभु मोरी ऐसी घुधि कीजिये पारसजिनवरन निरख परख यो लहायो पारसपद नन-प्रकाश अरुन यान ऐलो प्यारी लागेमाने जिन छवि शरी पास अनादि अविद्या मेरो हरन-पास परमेशा है पूलित जिनराज माज आपदा हरी
पनमें नगनतन राज योगीसुर महाराज परसत पान सुनीर हो, जिनमुखघनसों . चंदों अदभुत चंद्रवीरजिन भविचकोरवितहारी
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