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________________ क्र० स० नाम ७- परिणमनशीलता के अयं मे उत्पाद और व्यय के साय धोव्य भी गर्मित है '८- परिणमन के भेद -परिणमन की स्वसापेक्षता और म्वपरमापेक्षता का अभिप्राय ४५ १०- स्वसापेक्ष परनिरपेक्ष और स्वपरसापेक्ष परिणमनो में भेद का कारण ११- दोनो प्रकार के परिणमनों का दायरा १२- दोनो प्रकार के परिणमनो मे कार्यकारण भाव की विवेचना का आधार १३- निमित्तो की विविधता १४-५० फूलचन्द्र जी का अपने अभिमत पो पुष्ट करने का एक प्रयाग १५-१० जी के प्रयास की निरर्थकता १६. स्वमापेक्ष परनिरपेक्ष परिणमन में. मम्बल में विवेचन १७. स्वपरमापेक्ष परिणमन ने सम्बन्ध में विवेचन १८- आकाश व्य का उदाहरण १६- दपंग मामाहरण
SR No.010368
Book TitleJain Tattva Mimansa ki Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Pandit
PublisherDigambar Jain Sanskruti Sevak Samaj
Publication Year1972
Total Pages421
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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