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अनेन्द्र सो माहानियां समा भा
पिता जी के पान मा पनी का पार है।"
"हा, यान आगे यह गई है और तुम पायद उमे भय पीछे नहीं रोगा चाहते हो । तब तो उसे पौर मी मागे बहने से रोका नहीं जा सकता!"
"बढिए, और यहाए । मैं मापको रोकाया नहीं। आपने शायद भाई जी पुलिस से बात की है । और सबसे भी पाहे तो गीजिए। नेकिन आप भी नहीं रोक सफेंगे और हम भी नहीं रोगः सकेंगे। प्यार गलत चीज नहीं है और कोई उमे रोग नहीं समेगा।"
"तुम समनदार हो अजीत ! मन में सही और गलन नहीं होता, काम मे हुमा फरता है । वहा पर तना जादे होता है कि हम समोर की इज्जत के लिए ही गायद हम रहते हैं और दुनिया उनमें पल रही है। पली रहते हुए विवाह दूसरा नही पिया जरा सस्ता, पाक मि गग साध चाहने वाला प्रेम भी नही नगा जा सकता ? मंचन गा में याला प्रेम हो तो कौन रोक सस्ता? तुम लोग जो गाम रहमा पाएगे हो ! तुम जानते हो, यह मभव नही है।" ___ "मैं तलाय ले सकता।"
"तो लेने तक रहरे पयो नहीं ? राप माय विदेश भागने यी नमागे गमे ठन गई!"
"तलाक में समय लगेगा।" "तो इतना चे गाना पाहिए पा।"
" । " पहार अजीत एक पदको मुम्मान में मुग्म राणा । मा, "कमोजिएगा। हम लोग उगने नहीं है । र सो गुण नही मानते।''उपका उमीद मे गे माता रमा, यथा । मापन राजपाई पर थैटरर बान भरनी की नो मु, बनाने की बारस न दी। मादापों के पिता पनि निमी को भी निरनी है। माप प दायरे में अपने पितार में दायरे में गो इन्दगीको पररी गर । मागनीमार मलाणा में भी जग गियान में कार मर गाने मेरे दिमाग ifrrit