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जैनेन्द्र मो गहानिया दरो भाग से हम पीछे नहीं हट सनरी | मापने अपने पितृल में पराम में माँ: वद होकर शायद समस्या को यह रूप दे दिया है। मापने पालो यो
और चुनौती फनी है। मंगुनकर परताrि में उन पुनौती घो उता घोर पाप जो चाहे पर नीजिए । होगा यो, जो मान । हम लोगों की प्रतिमा बनपने को नही है और यह टूटगा नही जानती।" राजकुमार जी को जाने कैसा लगा । यह गोनर
होम पाए । प्यम मे हमार बोले, "तुम दोनो मी प्रतिज्ञा हो Ranit है. लेकिन समाज की भी कुछ प्रतिमा है । नसमा प्रारी पार गरा बन कर राज्य मराटामा है । उसो तुम बन कर भागने की मोनोगे, यही न"
"वही में प्रापी सलाह लेना परता, बनाए म पार? हम जीवन के प्रारम्भ में हैं, हमारी महायता नीजिए।"
'महामना यही है कि गर भूल जायो। प्रभी तो भून ही मानो। घगर घर में तुम्हारे कलह बडे और रातार जस्नेहो गए पौर गिर भी जाए राय जो हो गौन गेना । मम तर गर भोगमित रगी पोर गगनो परीक्षा में हो।" __"म बने भा गमदून, हा मोई हमला नहीं जानता।"
"या भी गाद रहोगेनो नाम बदन मर और नामा मरदेशा हो तो हमलोग ही तो गुल में मादायो।"
"गयो, दो पमना जन माय नहीं पते?" "प्रिवाहित पत्नी में रहमान
"यहा मौन होगा । नये नाम में ना की । मोर मोई जानकानेवाला नहीं मिलंगा।"
T, मानो होगे तोर प्रादी में शाहर हो । शिरगेमी माrिariat गुम किसीमोनाने हो ? तो मया की start