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अपना पराया
तब की बात कहते हैं, जब रेल नहीं थी और घोड़ा ही सबसे तेज सवारी थी ।
एक मुसाफिर सिपाहियाना पोशाक में सड़क के किनारे की एक सराय पर घोड़े से उतरा । उसने घोड़े को थपथपाया और अन्दर दाखिल हुआ । वह बहुत दूर से आ रहा था और खूब थका हुआ था । वह चौबीस घण्टे यहाँ रहेगा और चला जायगा । उसे अभी दूर की मंजिल तय करना है ।
सराय में पहुँचकर उसने घोड़ा सराय वाले के हाथ में थमाया और चाहा, घोड़े के खाने वगैरह का ठीक बन्दोबस्त हो जाय और उसके लिए एक आरामदेह कमरे का फ़ौरन इन्तजाम किया जाय । पैसा फिक्र करने की चीज नहीं है, लेकिन उसे आराम चाहिए ।
घोड़े की व्यवस्था कर दी गई। उसके आराम और कमरे की व्यवस्था कर दी गई। उसने खाना खाया और पलंग पर लेट गया । नींद उसे जल्दी आ गई और सपने में वह घर की बातें देखने लगा ।... उसकी पत्नी जो पाँच साल से विधवा की भाँति रह
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