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ऊपर है कि बच्चों को पता न चले कि उनके बाप नहीं रहे। इस लिए तुम सो जाओ, ताकि तन्दुरुस्ती बच्चों के खातिर तुम्हारी बनी रहे। तुम खुश न दीखोगी तो बच्चे कैसे खुश दीखेंगे।" ___ माँ मानों सब समझती थीं । बोली, "हाँ बेटा, अब तुम जाकर आराम करो।"
माँ को चुप लेटा छोड़कर मैं खाट पर आ रहा। अँधेरा गहरा होता जाता था। सर्दी अधिक थी। सामने तारे दीख रहे थे। बाहर चुंगी की बत्ती ठिठुरती हुई जल रही थी। उसकी रोशनी आसपास में सिमटी थी और काँप रही थी। अब नगर सुनसान होता जा रहा था। मैंने कोशिश की कि मैं सो जाऊँ और कुछ न सोचूँ । मैंने कुछ नहीं सोचा, लेकिन नींद मुझे नहीं आयी। कुछ चारों तरफ भरा मालूम होता था। वह जम कर भारी होता जा रहा था । एक तरफ लालटेन जल रही थी। मैंने उसे और दूर कर दी, मद्धम भी कर दी। ऐसी दूर और मद्धिम कि चारों ओर और कुछ न रहा । पीला अँधेरा रह गया, जो पेट में काला था। लालटेन रखकर मैं दबे पाँव खाट पर आ रहा । आकर बैठ गया। फिर बैठ कर लेट गया। माँ क्या सो सकी है ? और चुन्नू क्या कर रहा है ? क्या वह सो नहीं गया ? मैंने धीमी साँस कहा, "अम्मा!"
आवाज का कोई उत्तर नहीं मिला । सोचा, आँख लग पायी होगी। चलो अच्छा है । थोड़ी देर मैं चुपचाप लेटा रहा । अनन्तर उठकर दबे पाँव जाकर देखा। चुन्नू की आँख लग गयी है। माँ अपनी खाट पर ज्यों-की-त्यों चुप लेटी हैं। न हिलती है न डुलती हैं। सोही गयी होंगी। मैंने चैन की साँस ली। ___ बाहर आकर देखा। आसमान में तारे भरे थे, चाँद नहीं था। वे तारे कितने थे? मैं थोड़ी देर देखता रहा हवा ठंडी