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दिल्ली में
"वह तो कल ही गया..." "गये ? कहाँ ?" "इससे तुझे क्या ?"
"अजी, मैं गरीबिनी हूँ । चिट्ठी डालकर पूछू गी नौकरी ।। बुला लिया तो अच्छा ही है।"
"शिमला गया है । पता नहीं मालूम ।" तभी नौकर ने खबर दी"माजी, बाहर एक मोटर खड़ी है।"
रधिया सुनकर भाग खड़ी हुई । कोई देखने बाहर गया, उसके हले ही रधिया को लेकर मोटर भाग चुकी थी।
वह नई उमर की मालकिन, रधिया के साथ, अपने पिता को मनामनू कर शिमला जाने के लिए लाचार करके, शिमला पहुंची। वहाँ हूँढा, पर कानपुर के वकील को न पा सकी।
दिल्ली लौट आई, पर उसको चैन न मिल सकी। दिल्ली में वकील के ठहरने की जगह से बहुत-कुछ मालूम करने का प्रयत्न किया गया पर वहाँ से ज्यादा कुछ नहीं बतलाया गया । ____एक रोज सेठ धनबढ़राय को खबर दी गई, उनकी लड़की लापता है। बहुत खोज-छान की, पर उसका पता न चला। तब वह खोज ढीली पड़ गई। लेकिन धनबढ़राय फिर भी भीतर-हीभीतर ढीले न रहे । उस लड़की ने भागकर उनके नाम पर कीचड़ डाली, सेठजी उसे इसका बदला चुकाएँगे।
कचहरी खुल गई और कानपुर आकर प्रमोद अपनी वकालत में लगा। ब्याह के आठवें महीने ही जब बहू की गोद में दो महीने