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. सर्वाधित लाखो विमानो में उमी समय विना किसा भी दृश्ययान आवा के और किसी भी पदार्थ द्वारा सबध रहित होने पर भी तुमुल घोषणा, एव घंटा निनाद शुरु हो जाता है, यह कथन " रेडियो और टेलीविजन तथा सपर्क साधक विद्यत-शक्ति का ही समर्थन करता है । ऐसा कह
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" रेडियो सबन्धी
शक्ति-सिद्धान्त जैन-दर्शन ह जारो वर्ष पहिले,
कह चुका है ।
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शब्द रूपी है, पौद्गलिक है, और क्षण मात्र में सारे लोक़ में फैल जाने की शक्ति रखते है, ऐसा विज्ञान जैन दर्शन ने हजारो वर्ष पहले ही चिन्तन और मनन द्वारा वतला दिया था, और इस सिद्धान्त को जनदर्शन के सिवाय आज दिन तक विश्व का कोई भी दर्शन मानने को तैयार न हुआ था, वही जैन दर्शन द्वारा प्रदर्शित सिद्धान्त अब " रेडियो युग" मे एक स्वयं सिद्ध और निर्विवाद विपय बन सका है ।
पुद्गल के हर परमाणु मे और अणु अणु मे महान् सजनात्मक और स्थिति तथा सयोग अनुसार अति भयकर विनाशक शक्ति स्वभावत र हुई है, ऐसा सिद्धान्त भा जैन दर्शन हजारो वर्ष पहले ही समझा चुका ह वही सिद्धान्त अव " एटम वम, कीटाण वम और हाइड्रोजन एलेक्ट्रीक वम" वनने पर विश्वसनीय समझा जाने लगा है ।
आज का विज्ञान प्रत्यक्ष प्रमाणो के आधार पर अनन्त ताराओं क कल्पनातात विस्तीर्ण वलयाकारता का, अनुमानातीत विपुल क्षत्रफल, का और अनन्त दूरी का जैसा वर्णन करता है और ब्रह्माड की अनन्दता का जैसा वयान करता है, उस सब की तुलना जैन दर्शन में वर्णित चौदह राजू प्रमाण लोक स्थिति से और लाक के क्षेत्र फल से भाषा-भेद, रूप कभेद और वर्णन-भेद होने पर भी ठाक ठीक गति से की जा सकती है 4
आज के भूगर्भ वेत्ताओ आर खगोल वेत्ताओ का कथन है कि पृथ्वी किसी समय यानी अरवो आर खरवो वर्ष पहले सूर्य का ही सम्मिलित भाग घो। “नीलो और पद्मो" वर्षो पहले इस ब्रह्माड में किसी अज्ञात शक्ति से अथवा, कारणो से खगोल वस्तुओं में आकर्षण और प्रत्याकर्पण हुआ, इस कारण डे