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जैनागम सूक्ति-सुधा
प्रथम भाग
संग्राहक
जन दिवाकर, वाल ब्रह्मचारी शास्त्रोद्धारक स्वर्गीय जैनाचार्य श्री १००८ श्री अमोलक
ऋषि जी महाराज के सुशिष्य मुनि श्री कल्याण ऋषि जी
टीका, अनुवाद, पारिभाषिक-कोष, व्याख्या आदि के
कर्ता और संपादक. रतनलाल संघवी न्यायतीर्थ-विशारद
मीराब्द २४७७ ।
में सर्वाधिकार सुरक्षित है ममोल स १५
दीपमालिका २००७ ता. ९-११-१९५०
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