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( २२ )
काले काले समायरे ।
द०, ५, ४, उ, द्वि
कि
टीका - काल के अनुसार समय को देखकर यथासमय था कार्य करे । प्रत्येक को अपना कार्यक्रम व्यवस्थित विभाजित करते -हुए समय पर उसे करना चाहिये । प्रमाद मे समय नही खोना चाहिये |
( २३ )
जरा जाव न पीडेड़, ताव धम्मं समायरे ।
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८०, ८, २३
( २४ ),
जाव इंदिआ न हायंति ताव- धम्मं समायरे ।
[ उपदेश- सूत्र
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टीका — जब तक वृद्धावस्था दुःख नही दे, वृद्धावस्था की प्राप्ति नही हो, उसके पहले ही धर्म का आचरण कर ले, नही तो पीछे 'पछताना पड़ेगा ।
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( २५ )
प्रसंखय जीविय मा पमायए ।
उ०, ४, १
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द०, ८, ३६
टीका - जब तक इन्द्रियाँ शक्ति हीन न हों, वहाँ तक यानी इसके पहले ही धर्म का आचारण कर ले । ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप और सेवा का आचरण कर ले | अन्यथा पूर्व पुण्यो को यहाँ पर क्षय कर और नये पापो का वोझा सग्रह कर जाना पड़ेगा ।
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