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________________ ४८ जैनागम स्तोक संग्रह ६ पावग : - ( पव्वय) जिसके मध्य में गॉठे हो, उसे पावग कहते ४ बेत, ५ नेतर, ६ बॉस इत्यादि है । १ ईख, २ एरण्ड, ३ सरकंड़, पावग के अनेक भेद है । ७ तृण . -१ डाभ का तृरण, २ आरातारा का तृण, ३ कड़वाली का तृण ४ भेझवा का तृण ५ धरो का तृण ६ कालिया का तृण इत्यादि तृण के अनेक भेद है । ८वलीया - ( वल्लय) जो वृक्ष ऊपर जाकर गोलाकार बने हो, वे वलीया. - १ सुपारी २ खारक ३ खजूर ४ केला ५ तज ६ इलायची ७ लोंग - ताड़ तमाल १० नारियल आदि वलीया के अनेक भेद है । ६ हरित काय - शाक भाजी के वृक्ष सो हरित काय :- १ मूला की भाजी २ मेथी की भाजी ३ तांदलजाकी ( चदलोई की ) भाजी ४ सुवा की भाजी ५ लुणी की भाजी ६ बथुए की भाजी आदि हरित -काय के अनेक भेद है । १० औषधि : - चौबीस प्रकार के धान्य को औषधि कहते है । धान्य के नाम . १ गोधुम (गेहू ) २ जव ३ जुआर ४ बाजरी ५ डांगेर (शाल ) ६ वरी ७ बंटी ( वरटी) ८ बाबटो & कागनी १० चिण्यो - भिण्यो ११ कोदरा १२ मक्की । इन बाहर की दाल न होने से ये लहा (लासा ) धान्य कहलाते है । १मूँग २ मोठ ३ उडद ४ तुवर ५ झालर (कावली चने) ६ वटले ७ चॅवले ८ चने ६ कुलत्थी १० कांग (राजगरे के सामान एक जाति का अनाज ) ११ मसुर १२ अलसी इन बारह की दाल होने से इन्हे 'कठोल' कहते है । लहा और कठोल इन दोनों प्रकार के धान्य को औषधि कहते है ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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