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जैनागम स्तोक संग्रह शुक्ल ध्यान के १६ भेद : १ पदार्थो मे द्रव्य गुण पर्याय का विविध प्रकार से विचार करे २ एक पुद्गल का उन्मादादि विचार बदले नही ३ सूक्ष्म-ईयविहि क्रिया लागे परन्तु अकषायी होने से बन्ध न पड़े ४ सर्व क्रिया का छेद करके अलेशी बने । चार लक्षण-१ जीव को शिव रूप-शरीर से भिन्न समझे, २ सर्व संग को त्यागे ३ चपलता पूर्वक उपसर्ग सहे. ४ मोह रहित वर्ते। चार अवलम्बन-१ पूर्ण निर्लोभता, ३ पूर्ण सरलता, ४ पूर्ण निरभिमानता। चार अनुपेक्षा-१ प्राणातिपात आदि पाप के कारण सोचे २ पुद्गल की अशुभता चितवे, ३ अनन्त पुद्गल परावर्तन का चितन करे, ४ द्रव्य के बदलने वाले परिणाम चितवे ।
६ कायोत्सर्ग तप के दो भेद : १ द्रव्य कायोत्सर्ग, २ भाव कायोत्सर्ग के चार भेद-१ शरीर के ममत्व का त्याग करे, २ सम्प्रदाय के ममत्व का त्याग करे ३ वस्त्र पात्रादि उपकरण का । ममत्व त्यागे ४ आहार पानी आदि पदार्थो का ममत्व त्यागे । भाव कायोत्सर्ग के ३ भेद -१ कषाय कायोत्सर्ग ( ४ कषाय का त्याग करे) २ संसार कायोत्सर्ग (४ गति मे जाने के कारण का बध करना) ३ कर्म कायोत्सर्ग ( ८ कर्म बन्ध के कारण जान कर त्याग करे ।।
इस प्रकार कुल बार प्रकार के तप के सर्व ३५४ भेद उवाई सूत्र से जानना ना भ