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________________ चरमाचरम ५७७ ( ३ ) ज्योतिषी और १-१ देवलोक मे २८ बोल, ऊपर मे से ३ अशुभ लेश्या घटाना। (१०) तोसरे से बारहवे देव लोक तक २७ वोल-ऊपर मे से १ स्त्री वेद घटाना। (१) नव वेयक मे २६ बोल-ऊपर मे से १ मिश्र दृष्टि घटानो। ( २ ) पाच अनुत्तर विमान मे २२ बोल । १ दृष्टि और 3 अज्ञान घटाना। (३) पृथ्वी, अप, वनस्पति मे १८ बोल । १ गति, १ इन्द्रिय, ४ कषाय, ४ लेश्या, १ योग, २ उपयोग, २ अज्ञान १ दर्शन, १ चारित्र १ वेद एव १८ । ( २ ). तेउ-वायु मे १७ बोल-ऊपर मे से १ तेजो लेश्या घटाना । ( १ ) बेइन्द्रिय मे २२ बोल-ऊपर के १७ बेलो मे से १ रसेन्द्रिय १ वछन योग, २ ज्ञान, १ दृष्टि एव ५ बढाने से २२ हुवे। ( ५ ) त्रि-इन्द्रिय मे २३ बोल । उपरोक्त २२ मे १ घ्राणेन्द्रिय : बढानी। ( १ ) चौरिन्द्रिय मे २४ बोल-२३ में १ चक्षु इन्द्रिय बढानी। (१) तिर्यच पचेन्द्रिय मे ३५ बोल १ गति, ५ इन्द्रिय, ४ कषाय ६ लेश्या, ३ योग, २ उपयोग, ३ ज्ञान, ३ दर्शन, २ चारित्र, ३ वेद एव ३५ बोल। ( १ ) मनुष्य मे ४७ बोल-५० मे से ३ गति कम शेष सब पावे।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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