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________________ पच्चीस क्रिया ३६ २ उपयोग बिना पात्रादि को पूजने से अणाउत्त पम्मज्जणता क्रिया लगे। २० अणवक खवत्तिया क्रिया के दो भेद : १ आयशरीरअणवक ख वत्तिया, २ परशरीर अणवक ख वत्तिया । १ अपने शरीर के द्वारा पाप करने से आयशरीर अणवकंख वत्तिया क्रिया लगे। २ अन्य के शरीर द्वारा पाप कर्म करने से परशरीर अणवकंख वत्तिया क्रिया लगे। २१ पेज्जवत्तिया क्रिया के दो भेद : १ मायावत्तिया, २ लोभवत्तिया । १ माया से ( कपट पूर्वक ) राग धारण करे तो मायावत्तिया क्रिया लगे। २ लोभ से राग धारण करे तो लोभवत्तिया क्रिया लगे। २२ दोसवत्तिया क्रिया के दो भेद : १ कोहे, २ माण। १ क्रोध से कोहे क्रिया लगे। २ मान से 'माणे' क्रिया लगे। २३ प्पउग क्रिया के तीन भेद : १ मणप्पउग, २ वयप्पउग ३ कायप्पउग । १ मन के योग अशुभ प्रवर्ताने से मणप्पउग क्रिया लगे। २ वचन के योग अशुभ प्रवर्ताने से वयप्पउग क्रिया लगे । ३ काया के योग अशुभ प्रवर्ताने से कायप्पउग क्रिया लगे।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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