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________________ سه له سے اس الله वैमानिक देव ५३५ ११ विमान द्वार-तीर्थकरो के कल्याण के समय मृत्युलोक मे वैमानिक देव जो विमान मे बैठ कर आते है उनके नाम-पालक, पुष्प, सुमानस, श्रीवत्स, नन्दी वर्तन, कामगमनाम, मनोगम, प्रियगम, विमल सर्वतोभद्र। चिन्ह, सामानिक. लोकपाल, त्रयस्त्रिश, आत्म रक्षक इन्द्र चिन्ह सामा लोकपाल त्रयस्त्रिश आत्म रक्षक शक्रन्द्र मग ८४ हजार ४ ३३६००० ईशानेन्द्र महर्षि ८० , ३२०००० सनत्कु इन्द्र शूकर ७२ ॥ २८८००० महेन्द्र सिह ७० ब्रह्मद्र अज(बकरा) ६० लतकेद्र मडूक (मेडक) ५० , महाक्रेद्र अश्व ४० , ४ ३३ १६०००० सहस्रद हस्ति ३० १२०००० प्राणतेद्र सर्प २० , ८०००० अच्युतेद्र गरुड १० , ४ ४०००० अनीका-प्रत्येक इंद्र को अनीका ७-७ प्रकार की है। प्रत्येक अनीका मे देवता उन इन्द्रो के सामानिक से १२७ गुणा होते है। प्रत्येक इन्द्र के तीन २ प्रकार की परिषदा होती है। इन्द्र आभ्यन्तर देव मध्यम देव बाह्य २० देव देविये १२ हजार १४ हजार १६ हजार शकेन्द्र २ १० ॥ १२ , १० ॥ १२ ॥ الله س لسلہ له २४०००० لس سہ २००००० للہ للہ اس اللہ س سے १४ ॥ ७ सौ ६ सौ ५ सौ ८ , ईशानेन्द्र ६ सौ ६ २ ,
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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