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________________ रात्रि-पहर देखने (जानने) की विधि ५११ ज्येष्ठ में-१४ दिन विशाखा, १५ दिन अनुराधा, १ दिन _ज्येष्ठा। आषाढ़ मे-१४ दिन ज्येष्ठा, १५ दिन मूल और १ दिन पूर्वापाडा। ___अन्तिम एकेक दिन है, वह नक्षत्र पूर्णिमा के दिन होवे तो उस महीने का अन्तिम दिन समझना। । १४ पूर्व का यन्त्र १४ पूर्व के नाम कर्ता वत्थु चूलावत्थु पद शाही ( स्याही) विषय-वर्णन हस्ति उत्पाद कोड . अगरणीय ७० लाख वीर्य अस्तिनास्ति ज्ञान प्रमाद २ , सत्य , २६ , आत्मा, १ क्रोड ८०ला * 1 पांचवे गणधर श्री सुधर्मा स्वामी ४ १ सर्व द्रव्य, गुण पर्याय की उत्पत्ति और नाश १२ २ स द्र. गु. प का ज्ञान ८ ४ जीवोके वीर्य का वर्णन १० ८ अस्ति - नास्ति का स्वरूप और स्याद्वाद ० १६ ५ ज्ञान का व्याख्यान ० ३२ सत्य सयम का , ० ६४ नय प्रमाण दर्शन सहित आत्म स्वरूप ३० ० १२८ कर्म प्रकृति, स्थिति अनुभाग, मूल उत्तर प्र. - कर्म , ८४ लाख
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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