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________________ षट्द्रव्य पर ३१ द्वार ४५७ जहां तक धर्मा० का १ भी प्रदेश बाकी रहे वहां तक उसे धर्मा० नही कह सकते सम्पूर्ण प्रदेश मिले हुवे को ही धर्मा • कहते है । २ जिस प्रकार १ एवभूत नयवाला थोड े भी टूटे हुवे पदार्थ को पदार्थ नही माने, अखण्डित द्रव्य को ही द्रव्य कहते है । इसी तरह सब द्रव्यो के विषय मे भी समझना । ३ लोक का मध्य प्रदेश कहा है ? उत्तर - रत्नप्रभा १८०००० योजन की है । उसके नीचे २०००० योजन घनोदधि है । उसके नीचे अस० योजन घनवायु, अस० यो० तन वायु और अस० यो० आकाश है उस आकाश के असख्यातवे भाग मे लोक का मध्य भाग है | ४ अधोलोक का मध्य प्रदेश कहा है, ? उ०- पक - प्रभा के नीचे के आकाश प्रदेश साधिक मे । ५ ऊर्ध्व लोक का मध्य प्रदेश कहा है ? उ० – ब्रह्म देवलोक के तीसरे रिष्ठ प्रतर मे । तिर्छे लोक का मध्य प्रदेश कहां है ? उ० – मेरु पर्वत के ८ रुचक प्रदेशो मे । इसी प्रकार धर्मा०, अधर्मा०, आकाशा० काय द्रव्य के प्रश्नोत्तर समझना जीव को मध्य प्रदेश = रुचक प्रदेशो मे है, काल का मध्य प्रदेश वर्तमान समय है | २९ स्पर्शना द्वार धर्मास्ति कार्य अधर्मा० लोककाश, जीव और पुद्गल द्रव्य को सम्पूर्ण स्पर्शा रहे है । काल को कही स्पर्शे कही न स्पर्शे इसी प्रकार शेष ४ अस्तिकाय स्पर्शे काल द्रव्य २ || द्वीप मे समस्त द्रव्य को स्पर्शे अन्य क्षेत्र मे नही । ३० प्रदेश स्पर्शना द्वार . धर्मा का एक प्रदेश धर्मा के कितने प्रदेशोको स्पर्शे ? ज. ३ उ. ६को स्पर्शे ? ज, ४ प्र उ ७ प्र. को स्पर्शे अधर्मा० 33 " " " 31
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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