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________________ जल्दी मोक्ष जाने के २३ बोल १ मोक्ष की अभिलाषा रखने से, २ उग्र तपश्चर्या करने से, ३ गुरु मुख द्वारा सूत्र सिद्धान्त सुनने से, ४ आगमन सुनकर वैसी ही प्रवृत्ति करने से, ५ पाच इन्द्रियो को दमन करने से, ६ छकाय जोवो को रक्षा करने से, ७ भोजन करने के समय साधु-साध्वियो की भावना भावने से, ८ सद्ज्ञान सीखने व सिखाने से, ६ नियाणा रहित एक कोटी से व्रत मे रहता हुआ नव कोटी से व्रत प्रत्याख्यान करने से, १० दश प्रकार की वैयावृत्य करने से, ११ कषाय को पतले करके निर्मूल करने से, १२ शक्ति होते हुए क्षमा करने से, १३ लगे हुए पापो की तुरन्त आलोचना करने से, १४ लिये हुए व्रतो को निर्मल पालने से, १५ अभयदान सुपात्र दान देने से, १६ शुद्ध मन से शीयल (ब्रह्मचर्य) पालने से, १७ निर्वद्य (पाप रहित) मधुर वचन बोलने से, १८ ग्रहण किये हुए सयम भार को अखण्ड पालने से, १६ धर्म-शुक्ल ध्यान ध्याने से, २० हर महीने ६-६ पौषध करने से, २१ पिछली रात्रि मे धर्म जागरण करते हुए तीन मनोरथादि चितवने से, २३ मृत्यु समय आलोचनादि से शुद्ध होकर समाधि पण्डित मरण मरने से । इन २३ बोलो को सम्यक् प्रकार से जान कर सेवन करने से जीव जल्दी मोक्ष मे जावे। ४४३
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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