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________________ आकाश श्रेणी ४२३ दिशा मे सादि सात सिवाय के २ भागे। ऊँची-नीची दिशा मे ४ भांगा। ___ द्रव्यापेक्षा श्रेणी कुडजुम्मा है। ६ दिक्षा मे और द्रव्यापेक्षा लोकाकाश की श्रेणी ६ दिशा की श्रेणी और अलोकाकाश की श्रेणी भी यही है । प्रदेशा पेक्षा आकाश श्रेणी तथा ६ दिशा मे श्रेणी कुडजुम्मा है। प्रदेशापेक्षा लोकाकाश की श्रेणी स्यात् कुडजुम्मा स्यात् दावरजुम्मा है । पूर्वादि ४ दिशा और ऊँची-नीची दिशापेक्षा कुड़जुम्मा है। • प्रदेशापेक्षा अलोकाकाश की श्रेणी स्यात् कुडजुम्मा जाव स्यात् कलयुगा है एव ४ दिशा की श्रेणी, परन्तु ऊँची-नीची दिशा मे कलयुगा सिवाय की तीन श्रेणी है। श्रेणी ७ प्रकार की होती है .-ऋजु, A एक वका, M दो वंका, एक कोने वाली, दो कोने वाली, - अर्ध चक्रवाल, तज्ञा चक्र वाल। जीव अनुश्रेणी (सम) गति करे, विस्रणी गति न करे । पुद्गल भी अनुस्रणी गति ही करे । विश्रेणी गति न करे । बल का अल्पबहुत्व ( पूर्वाचार्यो की प्राचीन प्रति के आधार से ) १ सब से कम सूक्ष्म निगोद के अपर्याप्ता का बल, उनसे २ बादर निगोद के अपर्याप्ता का बल असख्यात गुणा " ३-सूक्ष्म , पर्याप्ता ४-बादर , "
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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