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________________ अवधि पद ( सूत्र श्री पन्नवणाजी पद तैतीसवां ) इसके दश द्वार १ भेद द्वार २ विषय द्वार ३ संठाण द्वार ४ आभ्यन्तर और वाह्य द्वार ५ देश थकी व सर्व थकी ६ अनुगामी ७ हीयमान वर्धमान अवट्टीया & पड़वाई १० अपड़वाई | १ भेद द्वार : - नेरिये व देवभव प्रत्ये देखे अर्थात् उत्पन्न होने के समय से ही उन्हे अवधिज्ञान होता है तिर्यच व मनुष्य क्षयोपशम भाव से देखे । २ विषय द्वार : - पहली नरक का नेरिया जघन्य साढ़े तीन गाउ देखे उत्कृष्ट चार गाउ, दूसरी नरक का नेरिया जघन्य तीन गाउ, उत्कृष्ट साढा तीन गाउ, । तीसरी नरक का नेरिया जघन्य अढाई गाउ, उ० तीन गाउ, चौथी नरक का नेरिया ज० दो गाउ उ० अढाई गाउ, पांचवी नरक का जघन्य डेढ गाउ उत्कृष्ट दो गाउ, छट्ठी नरक का जघन्य एक गाउ उत्कृष्ट डेढ गाउ, सातवी नरक का जघन्य आधा गाउ उत्कृष्ट एक गाउ देखे । भवनपति जघन्य पच्चीस योजन तक देखे उत्कृष्ट तीन प्रकार से देखे ऊचा - पहले दूसरे देवलोक तक नीचेतीसरीनरक के तले तक और तिछ पल के आयुष्य वाले सख्यात द्वीप समुद्व देखे व सागर से आयु वाले असंख्यात द्वीप समुद्र देखे । वाणव्यन्तर व नव निकाय के देवता ज० पच्चीस योजन उ० तीन प्रकार से देखे ऊचा-पहेले देव लोक तक नीचे-पाताल कलश तक व तिर्यक् सख्यात द्वीप समुद्र देखे 1 ज्योतिषी ज० आंगुल के श्रसंख्यातवें भाव ३८४
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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