SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 396
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आराधक विराधक ( श्री भगवती सूत्र, शतक पहला, उद्देशा दूसरा ) १ असंजत भव्य द्रव्य देव जघन्य भवनपति उत्कृष्ट नव ग्रैवेयक तक जावे | २ आराधक साधु ज० पहले देवलोक तक उत्कृष्ट सर्वार्थसिद्ध विमान तक जावे । ३ विराधक साधु जघन्य भवनपति उप्कृष्ट पहले देवलोक तक जावे | ४ आराधक श्रावक ज० पहले देवलोक तक उ० तक जावे । ५ विराधक श्रावक ज० भवनपति उ० ज्योतिषी तक जावे । ६ असंजति तिर्यञ्च जघन्य भवनपति उत्कृष्ट वारणव्यंतर तक जावे | वारहवे देवलोक ७ तापस के मत वाले जघन्य भवनपति उत्कृष्ट ज्योतिपी तक जावे | ८ कदर्पीया साधु जघन्य भवनपति उत्कृष्ट पहला देवलोक तक जावे | ६ अम्वड सन्यासी के मत वाले ज० भवनपति उ० पाँचवें देवलोक तक जावे । १० जमाली के मत वाले जघन्य भवनपति छटठे देवलोक तक जावे | ११ संज्ञी तिर्यञ्च जघन्य भवनपति उत्कृष्ट आठवे देवलोक तक जावे । ३७=
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy