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________________ श्वासोश्वास सूत्र श्री पन्नवणाजी के पद सातवे मे श्वासोश्वास का थोकडा चला है उसमे गौतम स्वामी वीर प्रभु से पूछते है कि-हे भगवन् । नेरिया और देवता किस प्रकार श्वासोश्वास लेते है ? वीर प्रभु उत्तर देते है कि हे गौतम । नारकी का जीव निरन्तर धमण के समान श्वासोश्वास लेता है। असुर कुमार का देवता जघन्य सात थोक उत्कृष्ट एक पक्ष जाजेरा श्वासोश्वास लेते है। वाणव्यन्तर और नवनिकाय के देवता जघन्य सात थोक उत्कृष्ट प्रत्येक मुहूर्त मे, ज्योतिषी जघन्य उ० प्रत्येक मुहूर्त में पहला देव लोक का ज० प्रत्येक महूर्त मे उ० दो पक्ष मे, दूसरे देवलोक का ज० प्रत्येक महूर्त, जाजेरा उ० दो पक्ष, जाजेरा तीसरे देवलोक का ज० दो पक्ष मे उ० सात पक्ष मे,चौथे देवलोक का ज०दो पक्ष जाजेरा उ० सात पक्ष मे,जाजेरा,पाँचवे देवलोक का ज० सात पक्ष मे, उ० दश पक्ष मे, देवलोक का ज० दश पक्ष में, उ० चौदह पक्ष मे, सातवे देवलोक का ज० चौदह पक्ष मे, उ० सतरह पक्ष मे, आठवे देवलोक का ज० सतरह पक्ष में, उ० अट्ठारह पक्ष मे, नववे देवलोक का ज० अट्ठारह पक्ष में, उ. उन्नीश पक्ष मे, दशवे देवलोक का ज० उन्नीश पक्ष मे, उ० वीस मे, इग्यारहवे देवलोक का ज० बीस पक्ष मे, उ० एकवीश पक्ष में, बारहवे देवलोक का ज० एकवीस पक्ष मे, उ० वावीस पक्ष मे, पहली त्रिक का ज० बावीस पक्ष मे, उ० पच्चीस पक्ष मे, दूसरी त्रिक का ज० पच्चीस पक्ष मे, उ० अट्ठाइस पक्ष मे, तीसरी त्रिक का ज० अठाइस पक्ष मे, उ० एकतीस पक्ष मे, चार अनुत्तर विमान का ज० एकतीस पक्ष मे, उ० तेतीस पक्ष मे सर्वार्थसिद्ध का ज. और उ० तेतीस पक्ष मे एव ३३ पक्ष मे श्वास ऊँचा लेते है और ३३ पक्ष मे श्वास नीचे छोडते हैं। ३४७
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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