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________________ जीवो की मार्गणा ३४१ ७ ४२ २८८ २८९ २८८ १११ ११३ ११३ २ ४४ ३०३ १०२ ४ ४ २८८ ३०३ १२२ १०२ २८८ ३०३ १४६ १०२ ४४८ अकात भव धा० देह अनेक भाव वाले मे ४४६ स्त्री गति के एकात भव देह ४५० भवसिद्धि एकांत भव देह ४५१ ऊपर की गति कृष्ण ० प्रत्येक तीन शरीरी में ४५२ भुज पर गति अधो. तिर्यक् प्र० तीन शरीरी मे ४५३ स्त्री गति कृ० प्र० शरीरी मे ४५४ उर्ध्व तिर्यक् एकान्त छद्० पचे० अनेक भव मे ४५५ कृष्ण प्रत्येक शरीरी मे ४५६ अधो० तिर्यक तीन शरीरी बादर में ४५७ अप्रशस्त लेशी बादर मे ४५८ उर्ध्व तिर्यक के एक सस्थानी मे ४५६ उर्ध्व तिर्यक के एकात छद्मस्थ चक्षं मे ४६० उर्ध्व तिर्यक एकात छद्मस्थ घ्राणे० ४६१ अधो० तिर्यक के च० ४६२ अधो० तिर्यक घ्राणे० ४६३ अधो० तिर्यक बादर एकात छद्मस्थ मे ४६४ अधो० तिर्यक त्रस मे २८८ १२२ १४ ३०३ २७३ १४८ २८८ १८८ १४८ २८८ ३०३ ३०३ १४ २५ १२२ १२२ १४ १४ ३८ २६ २६८ ३०३ १२२ १२२
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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