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________________ जीवो की मार्गणा । ३३९ २७ २७३ १०२ २७३ २७३ ११३ १०२ २७३ १०२ २० १८४ २७३ २०२ २०२ १०२ १६८ १८४ २३ २३ ४१६ अप्रशस्त लेशी तीन ____ शरोरो बा० एक सस्था० १४ ४१७ प्र० बादर एक सस्था० एकान्त भव धारणी देह ७ ४१८ कृष्ण लेशी एक सस्थानी मे ४१६ स्त्री गति कृष्ण लेशी एक सस्थानी मे ४२० मिश्र योगी बादर एकात असयम मे १४ ४२१ स्त्री गति अप्रशस्त लेशी प्र० शरीरी एक सस्थानी मे १२ ४२२ स्त्री गति के संज्ञी मे ४२३ समुच्चय सज्ञो मे १४ ४५४ प्र० शरीरी मिश्र योगी एकान्त असयम मे ४२५ मिश्र योगी एकान्त अपच्चक्खरणो मे ४२६ कृष्ण लेशी बादर प्रत्येक तीन शरीरी मे ४२७ अप्रशस्त लेशी एक सस्थानी मे ४२८ कृष्ण लेशी बादर तीन शरीरी मे ४२६ कृष्ण एकात असयम मे ४३० स्त्री गति के त्रस मिश्र ,, अनेक भव वाले ४३१ स्त्री गति के मिथ्यात्वी मे १० २०६ १६८ २०२ १८४ ३० २८८ १०२ ____२७३ १०२ २८८ २८८ १०२ १०२ २१७ २१७ १८३ १८४
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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