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________________ ३३६ ३५७ सम्य० आगति के बादर में ३५८ अभाषक जीवों में ३५६ तिर्यक् घ्राणेन्द्रिय एक संस्थानी में ३६० संस्थानी त्रस एक ३६१ ऊर्ध्व० तिर्यक् पुरुष वेद में ३६२ प्र० शरोरी मिथ्या मरने वाले में ३६३ सम्य० आगति में ३६४ नो गर्भज की गति के बादर तीन शरीरी में ३६५ ज० अं० उ० २६ सागर की स्थिति के मरने वालों में ३६६ मिथ्या० मरने वालों में ३६७ प्र० शरीरी मरने वालों में ३६८ पुरुष एक संस्था० अनेक भववालों में ३६६ अधो तिर्यक् चक्षु० योगी में मिश्र ३७० कृष्ण लेशी संख्या ० स्थिति वालों में ३७१ समुच्चय मरने वालो में ३७२ तिर्यक् कृष्ण० तीन शरीरी वादर मे ३७३ तिर्य० बादर एक संस्थानी में ३७४ अ० ति० बादर कृष्ण एकान्त भव धारणी देह ७ ७ ० ७ ७ २ ७ १४ m ३४ ३५ १४ १० १६ ४४ ४० ३२ ४८ ४८ ४४ १६ ४८ ४८ ३२ २८ ३२ 1 जैनागम 'स्तोक संग्रह २१७. हह २१७ २७३ ७२ २०२ १४८ २७३ ७२ २१७ ६४ २१७ २१७ २१७ २१७ w २२८ १०२ १७२ २१७ 3 २८८ 3 x x ३ ६४ ह १६६ १२२ २१७ १०२ ११७ ६६ २८८ ५२ २७३ ७२ ५१
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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