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________________ जैनागमः स्तोक संग्रह ७ १० ४८ २०२ ६६ २१७ ५१ १८७ १२८ २०२९६ 6 | १३ 6 ६ १४ १० २०२ . १०१ ७ २१ २०२ ३०३ 6 १८७ १०१ 6 ३१८ श्रोत्रे० अपर्याप्त में ३१६ कृष्ण लेशी मरने वालों में ३२० तीन शरीरी स्त्री वेद में ३२१ त्रस अपर्याप्त में ३२२ बादर अनाहारी अचरम में ३२३ नो गर्भज पंचे० में ३२४ तीन शरीरी मिथ्या० में ३२५ औदारिक च० इन्द्रिय में ३२६ मिथ्यात्वी एक संस्थानी _ मरने वालो में , ३२७ नो गर्भज घ्राणे० में । ३२८ बादर अभा० अचरम में ३२६ औदारिक त्रस में ३३० औदारिक एकांत भवधारणी देह में ३३१ नो गर्भज बादर मिथ्यात्वी मे ३३२ त्रस एकांत संख्यात काल की स्थिति वाले में ३३३ च० इन्द्रिय एक संस्थानी में ३३४ तिर्यक अधो लोक ' की स्त्री में ३३५ घ्राणेन्द्रिय एक संस्थानी स्थिति वाले मे ३३६ कार्मण योग त्रस में ३३७ नो गर्भज प्र० शरीरी । २८ १०१ 6 6 ७ . २४ . २०२ २० २० २०७ २०२ ७ २२ २०७ 6 6 २०७
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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