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________________ ३३२ २८६ घ्राणेन्द्रिय एक संस्थान औदारिक में २८७ तिर्यक तेजो लेशी मे २८८ तीन शरीरी मनुष्य में २८६ त्रस एक संस्थान औदारिक में २९० एक दृष्टि वाले जीवों में २९१ तिर्यक लोक कृष्ण लेशी मरने वालों में २९२ जघन्य अनामुहूर्त उत्कृष्ट सागर १ संठान मरने वालों में २६३ च० इन्द्रिय कृष्ण लेशी मरने वालों मे २६४ नो गर्भज की आगति के कृष्ण लेशी त्रस में २६५ घ्राणेन्द्रिय कृष्ण लेशी मरने वालो में २९६ एकान्त संज्ञी में २६७ त्रस कृष्ण लेशी मरने वालों में २८ पंचेन्द्रिय पर्याप्त एक संस्थानी में २६६ च० इन्द्रिय पर्याप्त एक संस्थानी में ३०० स्त्री वेद पर्याप्त एक सस्थानी में , O O - १ १३ ३ ७ ७ १३ १३ } १६ ३० ४८ ३८ २१ २६ २४ २६ ५ 1 जैनागम स्तोक संग्रह २७३ २०२ २८८ १८७ २७३ २१३ ४६ २१७ २१७ २१७ २६ २.१७, १३१ २१७ १८७ १८७ १७२ O ७२ - ० 1 ६५ ५१ ५१ ५१ १४७ ५१ εε १२८ &&
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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