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________________ ३३० जैनागम स्तोक सग्रह | - २०२ ३६ २०२ | | My Mar mr or C १३१ २१३ س १ १ २१३ २१३ or Ge ३६ ३६ س س २१३ २४६ तिर्यक् च० इन्द्रिय अपर्याप्त में २५० भव्य सिद्धि शाश्वत में २५१ तिर्यक त्रस अपर्याप्त में २५२ औदारिक अभाषक में । २५३ मिश्र योगी मरने वालों में २५४ स्त्री वेद मिश्र योगी में २५५ पंचे० एकांत मिथ्यात्वी में २५६ चक्षु इन्द्रिय एकान्त मिथ्यात्वी में २५७ घ्राणे एकांत मिथ्यात्वी में २५८ त्रस एकांत मिथ्यात्वी में २५६ धर्म देव की आगति के घ्राणेन्द्रिय में २६० पंचेन्द्रिय तीन शरीरी सम्यक् दृष्टि में २६१ कृष्ण लेशी अशाश्वत में २६२ पुरुष वेदी सम्यक् दृष्टि में २६३ प्रत्येक शरीरी समुच्चय . असंजी में २६४ तिर्यक् लोक कृष्ण लेशी स्त्री वेद मे २६५ औदा. शरीर मरने वालों मे २६६ पंचेन्द्रि कृष्ण लेशी अनाहारी मे २६७ च० इन्द्रिय कृष्ण लेशी अनाहारी में ا २४ १३१६ ر १३ १० س و १०६० १६२ १० م ३६ १७२ ५१ ه . س ३ ३ १० ११ २०२ २०२ س ५१
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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