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________________ जैनागम स्तोक संग्रह . ० . ० ४८ १० ३ ३० २५ ४४ ० ० १०० ७६ . . ० ० . १८ २२ ० २४ २६ . . . ३ ० ३ ० . ८१ सम्यक दृष्टि देवताओं के पर्याप्त में . ८२ शुक्ा लेशी सम्यक् दृष्टि में ८३ अधो. में मरने वालों में ८४ शुक्ल लेशी जीवों में ० ८५ अधो. कृष्ण लेशी त्रस में ८६ उर्ध्व पुरुष वेद में ० ८७ उर्ध्व घ्राणेन्द्रिय सम्यक् दृष्टि में ८८ उर्व. सम्यक् दृष्टि में ८६ अधो. चक्षु इन्द्रिय में ९० मनुष्य सम्यग् दृष्टि में ० ६१ अधो में घ्राणे० में १४ १२ उर्ध्व. त्रस मिथ्यात्वी में ० ६३ अधोलोक त्रस में ९४ देवता मिथ्यात्वी पर्याप्त में ६५ नो गर्भज अभाषक ____ सम्यग् दृष्टि में ९६ उर्ध्वलोक पचेन्द्रिय में । ६७ अधोलोक कृष्ण लेशी वादर में ६ ६८ धातकी खण्ड में प्रत्येक श० में ६६ वचन योगी देवताओ में १०० उर्ध्व लोक प्रत्येक शरीर __ बादर मिथ्यात्वी में १०१ वचन योगी मनुष्यों में ० १०२ उर्ध्व लोक त्रस में , ___० १०३ अधो लोक नो गर्भज में १०४ एकान्त मिथ्यात्व शाश्वत में . . . ० ० . . ० ० ३८. ० . ० . ० K० ० ० २६ १०१ ० ७६ ३० ५६ १८
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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