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पुद्गल परावर्त
३१५ परावर्त अनन्त किये एव १३४ प्रश्न होते है । तीनो ही स्थानक मे ८१६८ प्रश्न होते है।
५ काल द्वार अनन्त उत्सर्पिणी अनन्त अवसर्पिणी व्यतीत होवे तब जाकर कही एक औदारिक पु० परावर्त होता है। इसी प्रकार वैक्रिय पु० परावर्त इतना ही समय जाने बाद होता है। सात पु० परावर्त मे अनन्त अनन्त काल चक्र व्यतीत हो जाते हैं।
६ काल ओपमा द्वार काल समझाने के लिये एक दृष्टान्त दिया जाता है । परमाणु यह सूक्ष्म से सूक्ष्म रजकण, यह अतीन्द्रिय (इन्द्रिय से अगम्य) होता है कि जिसका भाग व हिस्सा किसी भी शस्त्र से किंवा किसी भी प्रकार से हो सकता नही । अत्यन्त वारीक सूक्ष्म से सूक्ष्म रजकण को परमाणु कहते है । इस प्रकार के अनन्त सूक्ष्म परमाणु से एक व्यवहार परमाणु होता है । २ अनन्त व्यवहार परमाणु से एक ऊष्ण स्निग्ध परमाणु होता है । ३ अनन्त ऊष्ण स्निग्ध परमाणु से एक शीत स्निग्ध परमाणु होता है। ४ आठ शीत स्निग्ध परमाणु से एक ऊर्ध्व रेणु होता है । ५ आठ ऊर्ध्व रेणु से एक त्रस रेणु । ६ आठ त्रस रेणु से एक रथ रेणु । ७ आठ रथ रेणु से देव-उत्तर कुरु के मनुष्यो का एक बालान । ८ देव कुरु उत्तर कुरु के मनुष्यो के आठ बालाग्रो से हरि-रम्यक वर्ष के मनुष्यो का एक बालान । ६ इनके आठ बालाग्र से हेमवय हिरण्य वय मनुष्यो का एक वालाग्न। १० इन आठ बालाग्र से पूर्व विदेद व पश्चिम विदेह मनुष्यो का एक बा० । ११ इन वा० से भरत ऐरावत के मनुष्यों का एक वा० । १२ इन आठ वा० से एक लीख । १३ आठ लीख की एक जु, १४ आठ जू का एक अर्ध जव, १५ आठ अर्ध जब का एक उत्सेध अगुल, १६ छ: उत्सेध अगुलो का एक पैर का पहोल पना (चौडाई) १७ दो पैर के पहोल पने का एक वेत, १८ दो