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________________ पुद्गल परावर्त ३१३ १ सर्व जीवो ने – औदारिक पु० परावर्त, वैक्रिय पुद्गल परावर्त, तेजस् पु० परावर्त आदि ये सातो पु० परावर्त अनन्त अनन्त वार किये । २ एक वचन से - एक जीव ने, एक नरक के जीव ने औदारिक पु०- परावर्त, वैक्रिय पु० परावर्त आदि सातो पु० परावर्त गत काल में अनन्त-अनन्त वार किये । भविष्य काल में कोई पु० परावर्त नही करेगे (जो मोक्ष मे जावेगे वह) कोई करेगे वे जघन्य १,२,३, पु० परावर्त करेगे उत्कृष्ट अनन्त करेगे एवं भवनपति आदि २४ दण्डक के एक १ जीव ने सात पु० परावर्त गत काल मे अनन्त किये, कितने भविष्य, काल मे (मोक्ष जाने से ) करेंगे नही, ' जो करेंगे वो १, २, ३ उत्कृष्ट करेगे सात पु० परावर्त २४ दण्डक के साथ गिनने से १६८ ( प्रश्न ) हुए । ३ बहु वचन से - सर्व जीवो ने, नरक के सर्व जीवो ने पूर्व काल मे औदारिक पु० परावर्त आदि सातो पु० परावर्त अनन्त अनन्त किये | भविष्य काल में अनेक जीव अनन्त करेगे । इसी प्रकार २४ दण्डक के वहुत से जीवो ने ये अनन्त पु० परावर्त किये व भविष्य काल मे करेंगे इनके भी १६८ ( प्रश्न) होते है । ७÷१६८+१६८=३४३ ( प्रश्न ) होते है । ४ त्रिस्थानक द्वार १ जीव ने किस २ स्थान पर कौन २ से पु० परावर्त किये, कौन २ से पु० परावर्त करेगे । बहुत जीवो ने किस २ स्थान पर पु० परावर्त किये व करेगे । सर्व जीवो ने किस २ दण्डक मे कौन २ से पु० परावर्त किये। " एक वचन से - एक जीव ने नरकपने औदारिक पु० परा० किये नही करेगा नही । वैक्रिय पु० परा० किये है व करेगा । करेगा तो जघन्य १, २, ३, उत्कृष्ट अनन्त करेगा । इसी प्रकार तेजस् पु० परा० कार्मण पु० परा० यावत् श्वासोश्वास पुद्गल परा० किये 1
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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