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________________ बावन बोल २६३ ___६ अनियट्टी बादर गुण० मे-भाव ५, आत्मा ८ लब्धि ५, वीर्य १ पडित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल । १० सूक्ष्म सपराय गुण मे—भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वोर्य १ पडित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १ मनुष्य का पक्ष १ शुक्ल । ११ उपशान्त मोहनीय गुण में-भाव ५, आत्मा ७ (कषाय छोड़ कर) लब्धि ५, वीर्य १ पंडित वीर्य, दुष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १ मनुष्य का पक्ष १ शुक्ल । १२ क्षीण मोहनीय गुण. मे-भाव चार (उपशम छोड कर), आत्मा ७ (कषाय छोड़ कर), लब्धि ५, वीर्य १ पडित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दंडक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल । १३ सयोगी केवली गुण. मे-भाव ३ (उदय,. क्षायक, पारिमागिक), आत्मा ७ (कषाय छोड कर), लब्धि ५, वीर्य १ पडित वीर्य, दृष्टि १ समकित दृष्टि भव्य १, दडक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल । १४ अयोगी केवली गण. मे-भाव तीन ऊपर समान, आत्मा ६, (कषाय व योग छोड कर) लब्धि ५, वीर्य १ पडित वीर्य, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दडक १ मनुष्य का, पक्ष १ शुक्ल ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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