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________________ जैनागम स्तोक संग्रह -१ नेरियो का अवधि अवधिज्ञान देखने का संस्थान आकार :ज्ञान / पा (त्रिपाई) के आकार २ भवन पति का पाला के आकार ३ तिर्यंच का तथा मनुष्य का अनेक प्रकार का है ४ व्यन्तर का पटह वाजिन्त्र के आकार ५ ज्योतिषी का झालर के आकार ६ बारह देवलोक का ऊर्ध्वं मृदंग आकार ७ नव ग्रैयवेक का फूलो की चगेरी के आकार ८ पांच अनुत्तर विमान का अवधि ज्ञान कचुकी के आकार होता है । २३८ नारकी देव का अवधि ज्ञान - १ अनुगामिक २ अप्रतिपाति ३ अवस्थित एवं तीन प्रकार का । मनुष्य और तिर्यच का - १ अनुगामिक २ अनानुगामिक ३ वर्धमानक ४ हीयमानक ५ प्रतिपाति ६ अप्रतिपाति ७ अवस्थित होता है । यह विषय द्वार प्रमुख प्रज्ञापना सूत्र के ३३ वे पद से लिखा है । नदिसूत्रि में संक्षेप में लिखा हुआ है । मनः पर्याय ज्ञान का विस्तार मनः पर्याय ज्ञान के चार भेद :- - १ लब्धि मन - यह अनुत्तर वासो देवों के होता है | २ सज्ञा मन - यह संज्ञो मनुष्य व सज्ञी तिर्यच को होता है । ३ वर्गरणा मन—यह नारकी व अनुत्तर विमान वासी देवो के सिवाय दूसरे देवो को होता है । ४ पर्याय मन - यह मनः पर्याय ज्ञानी को होता है । मनः पर्याय ज्ञान किस को उत्पन्न होता है ? १ मनुष्य को उत्पन्न होवे अमनुष्य को नही । २ संज्ञी मनुष्य को उत्पन्न होवे असंज्ञी मनुष्य को नही । १३ कर्मभूमि संज्ञी मनुष्य को उत्पन्न होवे अकर्म भूमि संज्ञी मनुष्य को नही
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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