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________________ तेतीस बोल १ एक प्रकार का संयम : सर्व आश्रव से निवर्तन होना। २ दो प्रकार का बंध : १ राग बंध २ द्वेष बंध। ३ तीन प्रकार का दण्ड : १ मन दण्ड २ वचन दण्ड ३ काय दण्ड । तीन प्रकार की गुप्ति : -१ मन गुप्ति २ वचन गुप्ति ३ काय गुप्ति । तीन प्रकार का शल्य :–१ माया शल्य २ निदान शल्य ३ मिथ्यादर्शन शल्य । तीन प्रकार का गर्व :-१ ऋद्धि गर्व २ रस गर्व ३ साता गर्व । तीन प्रकार की विराधना :-१ ज्ञान विराधना २ दर्शन विराधना ३ चारित्र विराधना। ४ चार प्रकार का कषाय : १ क्रोध कषाय २ मान कषाय ३ माया कषाय ४ लोभ कषाय । चार प्रकार की संज्ञा-१ आहार संज्ञा २ भय सज्ञा ३ मैथुन सजा ४ परिग्रह संज्ञा । चार प्रकार की कथा-१ स्त्री कथा २ भत्त कथा ३ देश कथा ४ राज कथा । चार प्रकार का ध्यान :-१ आर्त ध्यान २ रौद्र ध्यान ३ धर्म ध्यान ४ शुक्ल ध्यान । ५पांच प्रकार की क्रिया : १ कायिका क्रिया २ आधिकरणिका क्रिया ३ प्राद्वेपिका क्रिया ४ पारितापनिका क्रिया ५ प्राणातिपातिका क्रिया । पांच प्रकार का १६६
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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